नई दिल्ली (द सर्चलाइट) : सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है और वीडियो को शेयर कर ये दावा किया जा रहा है की दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने भाजपा ज्वाइन कर ली है.
मनीषा चौबे नामक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा की ‘दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम , बुखारी ने भाजपा जॉइन कर लिया है, बधाई हो’ इसी तरह का दावा और भी कई यूजर द्वारा किया जा रहा है.
एक और ट्विटर यूजर लिखता है ‘बिग बिग ब्रेकिंग
नई दिल्ली जुमा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी जी ने भाजपा ज्वाइन की•••? 🤔
राजनेतिक हल्को में चर्चा जोरों पर
कुछ ना कुछ तो सेटिंग हुई है’
इसी तरह का दावा एक फेसबुक यूजर शैलेन्द्र प्रताप सिंह भी करते हुए दिखाई दे रहा है उसने लिखा ‘जामा मस्जिद के शाही इमाम ने भाजपा ज्वाइन की
विश्वास नहीं होता ?
पर मोदी है तो मुमकिन है’
पोस्ट को आप यहाँ पढ़ सकते हैं
ऐसे ही और दावे आप यहाँ, यहाँ, और यहाँ पढ़ सकते हैं.
फैक्ट चेक/वेरिफिकेशन
इस दावे की पड़ताल के लिए हमने गूगल पर कुछ सिंपल कीवर्ड सर्च किये जिससे ये साबित हो सके की शाही इमाम ने भाजपा ज्वाइन कर ली है. परन्तु हमारी टीम कोई भी ऐसा भरोसेमंद न्यूज़ आर्टिकल नहीं मिला जिससे ये साबित हो सके की शाही इमाम ने भाजपा ज्वाइन कर ली है.उसके बाद हमारी टीम को मिल्लत टाइम का एक ट्वीट मिला जिसमे कहा गया है की ‘शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी के बीजेपी में शामिल होने की खबर फेक है। वायरल वीडियो जामा मस्जिद के सामने की है जहां भाजपा सांसद हर्षवर्धन के साथ शौचालय निर्माण के प्रोग्राम वह शरीक हैं। उस एरिया के सांसद हर्षवर्धन ने जामा मस्जिद का गुसुल खाना और शौचालय अपने फंड से बनाने का ऐलान किया था जिसके निर्माण कार्यक्रम में 13 मार्च को इमाम साहब भी शरीक हुए थे ।’
जब पीटीआई की एक टीम ने इमाम शाही बुखारी से सम्पर्क किया तो जामा मस्जिद के असिस्टेंट PRO मोहम्मद अंसारुल हक ने कहा की “शाही इमाम मोहम्मद सैयद अहमद बुखारी के भाजपा में शामिल होने का दावा करने के बारे में सोशल मीडिया पर एक निराधार खबर वायरल है। यह खबर पूरी तरह झूठी है। दिल्ली की जामा मस्जिद के शौचालयों की हालत खस्ता थी, और हमने एमसीडी को इसकी योजना को मंजूरी देने के लिए अनुरोध भेजा था। हालांकि, पिछले 1.5 वर्षों में इसे मंजूरी नहीं दी गई थी। हमने सांसद डॉ. हर्षवर्धन से अपने बजट से शौचालय बनाने का अनुरोध किया। यह कार्यक्रम शौचालय की आधारशिला रखने का था।’
अतः द सर्च लाइट की पड़ताल से यह साफ़ हो गया है की सोशल मीडिया यूजर द्वारा किया जा रहा दावा सरासर झूठा और भ्रामक है.
Claimed By | Social Media Users |
Claimed Reviewed By | The Searchlight |
Claim Source | Twitter, Facebook |
Claim Fact Check | False |